स्मार्ट तरीके से बोली लगाने की रणनीति चालू करने और शुरुआती दो हफ़्ते के बाद, लक्ष्य हासिल करने को लेकर हुए काम के बारे में पता करने के लिए, काफ़ी कम कैंपेन मैनेजमेंट की ज़रूरत होती है.
किसी कैंपेन में बड़े बदलाव करने से उसकी परफ़ॉर्मेंस पर असर हो सकता है. दरअसल, ऐसा होने पर एल्गोरिदम को नई सेटिंग के बारे जानकारी हासिल करके, इसके हिसाब से बदलाव करना होगा. इन बदलावों में बोली बढ़ाना, नए क्रिएटिव बनाना, टारगेटिंग (विज्ञापन के लिए सही दर्शक चुनना), ऑडियंस की सूचियों को अपडेट करना वगैरह शामिल हैं.
उदाहरण
अगर आपने हाल ही में अपने-आप टारगेटिंग की सुविधा को चुना है और आपको बड़ी संख्या में नए इंप्रेशन पाने का अधिकार मिला है (जिसके लिए स्मार्ट तरीके से बोली लगाने से जुड़ा पुराना डेटा नहीं है), तो आपकी परफ़ॉर्मेंस में कुछ समय के लिए गड़बड़ी दिख सकती है. अगर आप स्मार्ट तरीके से बोली लगाने की रणनीति का इस्तेमाल करने वाले डिसप्ले कैंपेन में कई बदलाव करना चाहते हैं, तो लर्निंग का समय कम करने के लिए सभी बदलाव एक साथ करें. आप स्थिति कॉलम की जांच करके, पता कर सकते हैं कि एल्गोरिदम अब भी आपकी सेटिंग के बारे में सीख रहा है या नहीं.
कैंपेन में बोलियां बदलने के असर
- अगर आप कैंपेन के लिए ऑप्टिमाइज़ेशन करना चाहते हैं, तो अपनी बोलियों को 20% तक बढ़ाएं या घटाएं और बदलावों के बाद, एक हफ़्ते तक इंतज़ार करें. बोली के टारगेट सीपीए या टारगेट आरओएएस में छोटे और कभी-कभार होने वाले बदलाव से, ज़्यादा समस्या नहीं होगी. अगर किसी विज्ञापन ग्रुप में ,कन्वर्ज़न वॉल्यूम काफ़ी ज़्यादा है (उदाहरण के लिए, हर दिन 100 से ज़्यादा कन्वर्ज़न), तो आप बार-बार बदलाव कर सकते हैं.
- कुछ समय के लिए परफ़ॉर्मेंस में गिरावट सामान्य बात है. एल्गोरिदम समय के साथ सीखता है और खराब परफ़ॉर्मेंस की भरपाई करने के लिए बोलियों में बदलाव करता है. टारगेट सीपीए कम करने या टारगेट आरओएएस को बढ़ाने से, वॉल्यूम और परफ़ॉर्मेंस पर काफ़ी असर पड़ सकता है.
कन्वर्ज़न में लगा समय
कुछ उपयोगकर्ताओं को विज्ञापन देखने और फिर ग्राहक में बदलने में कई हफ़्ते लग सकते हैं. विज्ञापन देने वाले, सीपीसी के लिए तुरंत पैसे चुका देते हैं. हालांकि, ऐसे (सीपीसी वाले) क्लिक से जुड़े कन्वर्ज़न, सेट की गई कन्वर्ज़न विंडो के हिसाब से रिपोर्ट किए जाते हैं. इस वजह से, हाल की परफ़ॉर्मेंस खराब दिख सकती है. हालांकि, उपयोगकर्ताओं के ग्राहक में बदलने की संख्या बढ़ने के साथ ही परफ़ॉर्मेंस बेहतर होने लगती है. साथ ही, कन्वर्ज़न को उसी दिन का माना जाता है जब क्लिक हुआ था. कन्वर्ज़न में लगे औसत समय की जानकारी पाने के लिए, वेब ऐनलिटिक्स का डेटा देखें. कन्वर्ज़न लैग की रिपोर्टिंग का डेटा देखने के बारे में ज़्यादा जानें.
- आप सभी कन्वर्ज़न कैप्चर कर रहे हैं, यह पक्का करने के लिए अपनी कन्वर्ज़न विंडो सेट करते समय कन्वर्ज़न में लगे समय को ध्यान में रखें. अगर आप छोटी कन्वर्ज़न विंडो सेट करते हैं, तो आपको तेज़ी से नतीजे दिख सकते हैं. साथ ही, आप स्मार्ट तरीके से बोली लगाने की लर्निंग प्रोसेस को तेज़ कर सकते हैं. हालांकि, आपको विज्ञापन की परफ़ॉर्मेंस का पूरा असर नहीं दिखेगा.
- अगर कन्वर्ज़न में लगा समय सात दिनों से ज़्यादा है, तो कन्वर्ज़न दर का अनुमान लगाना ज़्यादा मुश्किल हो जाता है. इस वजह से, आपके टारगेट सीपीए या टारगेट आरओएएस को पूरा करने की हमारी क्षमता पर असर होगा. हमारा अनुमान सही था या नहीं, यह तय करने से पहले हम ज़्यादातर कन्वर्ज़न के रिकॉर्ड होने का इंतज़ार करते हैं. इसका मतलब है कि जब तक ज़रूरत के मुताबिक कन्वर्ज़न डेटा रिकॉर्ड नहीं होता है, तब तक आपको अनुमान में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
- अगर आपके पास बजट की कमी है और आपकी परफ़ॉर्मेंस आपके टारगेट सीपीए या टारगेट आरओएएस से कम है, तो कन्वर्ज़न बढ़ाने की रणनीति का इस्तेमाल करेंया बजट बढ़ाएं. आप तब तक बजट बढ़ा सकते हैं, जब तक कि आपका बजट खत्म न हो जाए. बजट की वजह से आपकी परफ़ॉर्मेंस पर असर पड़ सकता है, क्योंकि कैंपेन उन नीलामियों में हिस्सा नहीं ले सकता जिनमें कन्वर्ज़न मिलने की संभावना काफ़ी ज़्यादा होती है.