मालिकाना हक का दावा करना
दशकों पहले, फ़ैन अपने पसंदीदा गाने या परफ़ॉर्मेंस, मिक्सटेप में शेयर करते थे. हालांकि, कॉन्टेंट शेयर करना और तारीफ़ करना आज-कल ऑनलाइन हो गया है. YouTube पर प्रशंसकों के पसंदीदा वीडियो बनाए रखने और उनसे कमाई करने के लिए, कॉपीराइट का अधिकार रखने वाले लोगों और हज़ारों लेबल ने YouTube के साथ, लाइसेंस देने के लिए कानूनी समझौता किया है. इनका मानना है कि जब प्रशंसक अपने पसंदीदा कलाकारों के कॉन्सर्ट का फ़ुटेज अपलोड करते हैं और उनके गानों का रीमिक्स बनाकर अपना प्यार ज़ाहिर करते हैं, तो इससे उन्हें खुशी हासिल होती है. इस तरह, प्रशंसकों के अपलोड किए गए वीडियो से, उन्हें अपना संगीत ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने और अपनी कमाई को बढ़ाने का मौका मिलता है.
ये सब Content ID की वजह से मुमकिन हो पाता है, जो अधिकारों को अपने-आप मैनेज करता है. जब कोई प्रशंसक, YouTube पर वीडियो अपलोड करता है, तो उसे वीडियो के डेटाबेस से मैच करके देखा जाता है. इस डेटाबेस में, कॉन्टेंट के मालिकों के अपलोड किए गए वीडियो होते हैं. अगर डेटाबेस में मिलता-जुलता वीडियो पाया जाता है, तो कॉन्टेंट के मालिक की ओर से, Content ID अपने-आप प्रशंसक के वीडियो पर दावा कर देता है. इसके बाद, कॉन्टेंट का मालिक तय करता है कि वीडियो पर किस तरह की कार्रवाई करनी है. संगीत से जुड़े कॉपीराइट दावों में से 0.5 प्रतिशत ही मैन्युअल रूप से किए जाते हैं. बाकी, 99.5 प्रतिशत दावे Content ID अपने-आप करता है, जिनमें से 99.7 प्रतिशत दावे सही होते हैं. आज-कल YouTube पर संगीत उद्योग के रेवेन्यू का 50 प्रतिशत, प्रशंसकों के अपलोड किए गए वीडियो से आता है.
Content ID की मदद से, YouTube ने संगीत उद्योग को करोड़ों डॉलर का पेमेंट किया है और यह संख्या हर साल बढ़ रही है. इसलिए, यह बात काफ़ी चौंकाने वाली है कि कुछ लेबल और कलाकारों को लगता है कि YouTube के प्लैटफ़ॉर्म पर ढेर सारा “बिना लाइसेंस वाला” संगीत है, जिससे कलाकारों की कमाई पर असर पड़ता है. सच बात तो यह है कि YouTube के लिए कॉपीराइट मैनेजमेंट बहुत अहम चीज़ है. इसलिए, हम यह पक्का करते हैं कि चाहे संगीत कोई भी अपलोड करे, लेकिन कमाई उसी व्यक्ति की होनी चाहिए जिसके पास कॉपीराइट का अधिकार है. कोई भी दूसरा प्लैटफ़ॉर्म, क्रिएटर्स को बड़े और छोटे, हर तरह के वीडियो पर इतनी कमाई नहीं देता.
संगीत से जुड़े लाइसेंस को मैनेज करना
YouTube पर कोई भी गाना दिखाने के लिए कई अलग-अलग तरह के अधिकारों की ज़रूरत होती है. आम तौर पर, इन अधिकारों को अलग-अलग पक्ष मैनेज करते हैं. जब भी किसी गाने का इस्तेमाल होता है, तब दुनिया भर में उसके कॉपीराइट का अधिकार रखने वाले दर्जनों लोगों में, YouTube से मिले पेमेंट को बांटा जाता है. ऐसा करने से, उन सभी लोगों को कमाई में हिस्सा मिलता है.
हमारा मानना है कि संगीत उद्योग और कलाकारों के बीच पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है, ताकि यह विश्वास दिलाया जा सके कि कलाकारों के हित में काम किया जा रहा है. इसलिए, आइए अब कॉपीराइट का अधिकार रखने वाले लोगों और उनके अधिकारों के बारे में जानें.
मास्टर रिकॉर्डिंग के उपयोग का अधिकार
कॉन्टेंट को सार्वजनिक जगह पर दिखाने से जुड़ा अधिकार
रिकॉर्ड की गई मास्टर रिकॉर्डिंग जैसे सभी संगीत के लिए, संगीत कंपोज़ करने जैसी बहुत सारी प्रोसेस होती हैं. इन प्रोसेस पर अलग-अलग अधिकार लागू होते हैं. YouTube के लिए, इन अधिकारों को दो कैटगरी में बांटा गया है. कॉन्टेंट को किसी सार्वजनिक जगह पर दिखाने से जुड़े अधिकार और दूसरे अधिकार.
सार्वजनिक जगह पर दिखाने से जुड़े अधिकार को, परफ़ॉर्मेंस का अधिकार रखने वाले संगठन (पीआरओ) कंट्रोल करते हैं. पीआरओ यह पक्का करते हैं कि जो बार, रेस्टोरेंट, होटल लॉबी वगैरह अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए, संगीत का इस्तेमाल कर रहे हैं वे उसका पेमेंट कर रहे हैं या नहीं. जब कोई गाना YouTube पर स्ट्रीम होता है, तो ये संगठन रॉयल्टी इकट्ठा करते हैं. इसे गीतकारों और म्यूज़िक पब्लिशर में बांट दिया जाता है, ताकि संगीत को सार्वजनिक किए जाने के खर्च को चुकाया जा सके. कई बार, “कलेक्टिंग सोसाइटी” कही जाने वाली इकाइयां दूसरे देशों में इन कामों के लिए ज़िम्मेदारी लेती हैं. इन संगठनों को सामान्य अधिकारों को मैनेज करने के लिए चुना जाता है. साथ ही, ये ब्लैंकेट लाइसेंस देते हैं, जिससे लाइसेंस रखने वाले कुछ समय के लिए कलेक्टिंग सोसाइटी के पूरे कैटलॉग का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे हर काम के लिए अलग-अलग लाइसेंस लेने की ज़रूरत नहीं होती.